Garud Puran (Hindi)
इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान् विष्णु हैं। इस में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्कामकर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किये जानेवाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है। आत्मज्ञान का विवेचन भी इसका मुख्य विषय है।
The presiding deity of this Puran is Lord Vishnu. This volume describes the glory of performing sacrifices, charity, penance, un-motivated action, devotion, dispassion, virtuous conduct etc. The book also contains various subjects like Ayurved, essence of ethics, along with the description of rites to be performed for the departed souls.
Drukwerk van zeer goede kwaliteit ; grote letters, prettig leesbaar
Omvang : 27 cm x 19cm
Gebonden ( hardcover ), 624 pg
Uitgever: Gita Press, Gorakhpur
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